Logo
यदक्षरं वेदविदो वदन्ति विशन्ति यद्यतयो वीतरागाः।
यदिच्छन्तो ब्रह्मचर्यं चरन्ति तत्ते पदं संग्रहेण प्रवक्ष्ये।।
अर्थ वेदों के ज्ञाता लोग जिसको अक्षर (अविनाशी )कहते हैं। वीतरागी और साधक जिसकी प्राप्ति की इच्छा करते हुए ब्रह्मचार्य का पालन करते हैं, वह मुक्तिमार्ग मैं तुझे संक्षेप में बताऊंगा व्याख्यागीता अध्याय 8 का श्लोक 11 वेदों को जानने वाले जिसको अक्षर कहते हैं यहाँ कृष्ण के कहने का मतलब चार वेद नहीं यहाँ कृष्ण कहते हैं वेद इसका सीधा-सा मतलब है वेद का अर्थ ज्ञान,यानि जब भी कोई व्यक्ति परमभाव को प्राप्त होता है वह ज्ञान वेद कहलाता है,उस ज्ञान को जानने वाले ज्ञानी उस परम धाम को अक्षर कहते हैं। यहाँ कृष्ण अक्षर ओम को कहते है, इसे थोड़ा अच्छे से समझ लें,जितने भी अक्षर आप बोलते हो तब ही बोले जाते हैं,आप ना बोले तो खो जाते हैं,एक अक्षर ऐसा भी है जब आप नहीं बोलते हो यानि आप चुप बिलकुल मौन हो जाते हो तब आपके भीतर एक गूँज, एक नाद उठना शुरू हो जाता है उस नाद को,वेदों को, जानने वाले अक्षर कहते हैं, उस नाद का नाम ओेम या ओंकार है वह जो भीतर ध्वनि गूंजती है ओंकार की,वह हमारी पैदा की हुई नहीं है वह प्रभु का संगीत है,जब यहाँ कुछ भी नहीं था तब भी वह ओम की ध्वनि थी और जब कुछ भी नहीं रहेगा तब भी यह नाद बजता रहेगा, ओम कोई शब्द नहीं है यह तो प्रभु का नाद है,तभी तो पुराने सन्तों ने इसको अक्षर जैसे शब्द में नहीं लिखा,जैसे कि शब्द होते हैं ‘क’ ‘ख’ ‘ग’ या । A B C ऐसे इस ओम को नहीं लिखा इसका तभी तो चित्र बनाया ’ॐ’ ताकि यह ओम शब्दों में ना खो जाए। ओम एक है ‘अ’ ‘उ’ ‘म’ इन तीन ध्वनियों का जोड़ ओम है बाकी सभी अक्षर इस एक ध्वनि का फैलाव है अक्षर तो एक ही है सिर्फ ओम। इस परम धाम को जानने वालों ने अक्षर यानि ओम कहा और वीतराग आदि महात्मा इसमें प्रवेश करते हैं यानि इस ओम अक्षर में प्रवेश करते हैं यह वही परम पद है जिसको चाहने वाले ब्रह्मचार्य का पालन करते हैं। ब्रह्मचार्य का अर्थ है ब्रह्म जैसा चार्य,धीरे-धीरे प्रभु के साथ एक होने के भाव से ब्रह्मचार्य बन जाता है ब्रह्म जैसा ही बन जाता है और जिस दिन चार्य ब्रह्म जैसा हो जाता है उस क्षण प्रभु मिलन घटित हो जाता है। कृष्ण कहते हैं उसी परम पद को मैं तेरे लिऐ अच्छे से कहूंगा।
logo

अपने आप को गीता परमरहस्यम् की गहन शिक्षाओं में डुबो दें, यह एक कालातीत मार्गदर्शक है जो आत्म-खोज और आंतरिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

Follow us on

अधिक जानकारी या निस्वार्थ योगदान के लिए आज ही संपर्क करे।

[email protected] [email protected]