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अर्जुन उवाचकिं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं कर्म पुरुषोत्तम।
अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते।।
अधियज्ञः कथं कोऽत्र देहेऽस्मिन्मधुसूदन।
प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोऽसिनियतात्मभिः।।
अर्थ अर्जुन बोले, "हे पुरुषोत्तम! वह ब्रह्म क्या है, अध्यात्म क्या है, और कर्म क्या है? और यहाँ अधिभूत, अधिदैव, और अधियज्ञ क्या हैं? और ये इस शरीर में कैसे होता है ?हे मधुसूदन! अंतिम समय में नियमित बुद्धिवाले पुरुषों द्वारा आपको कैसे जाना जाता है व्याख्यागीता अध्याय 8 का श्लोक 1-2 कृष्ण ने पिछले अध्याय के लास्ट दो श्लोकों में अर्जुन को कहा था, कि जो मेरी शरण होकर जन्म-मरण से छुटने का यत्न करते हैं, वे मनुष्य ब्रह्म को, अध्यातम को, और सम्पूर्ण कर्म को और वे अधिभूत, अधिदेव सहित अधियज्ञ के ज्ञान को जानते हैं वह पुरूष अन्तकाल में मुझे ही प्राप्त होते हैं। अर्जुन कहते हैं कि हे पुरूषोत्तम। अर्जुन के कहने का भाव यह है कि आप सभी पुरूषों में उत्तम यानि श्रेष्ठ है, और आप के सिवा यह सम्पूर्ण ज्ञान मुझको समझाने वाला कोई अन्य पुरूष नहीं है, इस लिए कृपया करके मुझे वह ज्ञान दीजिये जिसको जानकर मैं अन्त समय में आपको याद रख सकूँ और मृत्यु के बाद आपको प्राप्त हो सकूँ। अर्जुन ज्ञान को जानने के लिऐ इतना उतावला है, कि वह एक साथ छह प्रश्न कर लेता है, कि आप मुझे बताएं ये ब्रह्म, अध्यात्म, कर्म, अधिभूत, अधिदेव, अधियज्ञ क्या है, अगर अर्जुन एक ही प्रश्न करता कि आप मुझे बताएं कि ब्रह्म क्या है, एक प्रश्न का उत्तर अगर सही समझ आ जाऐ तो, बाकी सवालों के जवाब तो अपने आप मिल जाता है। जैसे एक उदाहरण लेते हैं कि पानी अगर माइनस डिग्री में चला जाये तो वह बर्फ बन जाता है, और अगर पानी को सौ डिग्री तक गरम करें तो पानी भाप बन जाता है, अब देखें बर्फ, पानी, भाप अलग-अलग नहीं है, एक ही जल तत्व है, जैसे ही निन्यानबे डिग्री से ऊपर जायेगा वह भाप बनेगा, अब आप कहो यह भाप कहाँ से आई, यह भाप पहले से ही पानी में थी जैसे ही सौ डिग्री पर गरम किया वह पानी भाप बन गया, अब आप कहें कि फिर पानी कहाँ है, पानी अब भी भाप में है यानि भाप ही पानी है, पानी, भाप, बर्फ, एक ही है, अर्जुन अगर एक ही सवाल करता कि ब्रह्म क्या है, तो अर्जुन के बाकी सवाल अपने आप हल हो जाते। अर्जुन कहते हैं यह सब इस शरीर में कैसे है तथा अन्त समय में आपको किस प्रकार ध्यान में रखें, कृप्या करके बताएं।
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अपने आप को गीता परमरहस्यम् की गहन शिक्षाओं में डुबो दें, यह एक कालातीत मार्गदर्शक है जो आत्म-खोज और आंतरिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

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