पुण्यो गन्धः पृथिव्यां च तेजश्चास्मि विभावसौ।
जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु।।
जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु।।
अर्थ मैं ही पृथ्वी में पवित्र गंध हूँ, मैं ही अग्नि में तेज हूँ और मैं ही समस्त प्राणियों की जीवनशक्ति हूँ, मैं ही तप का तेज हूँ व्याख्यागीता अध्याय 7 का श्लोक 9
पृथ्वी में पवित्र गंध मैं हूँ: गीता पर आज तक हजारों लोगों ने व्याख्या की है, सबने अपने-अपने हिसाब से इन शब्दों का उच्चारण किया यहाँ पर भगवान कहते हैं पवित्र गंध मैं हूँ, तो जितने भी गीता के टिकाकार हैं वह कहते हैं जितनी अच्छी-अच्छी सुगंध है पृथ्वी पर अलग-अलग फूलों की वह भगवान है लेकिन कृष्ण ने सब जगह दोनांे ही चीजों में मैं हूँ बताई, जैसे उत्पत्ति-विनाश, जन्म-मृत्यु, सुख-दुख सब को कहा मैं हूँ लेकिन यहाँ कृष्ण ने अपने को पृथ्वी की पवित्र गंध मैं हूँ बोला, सीधा ही बोल सकते थे सुगंध मैं हूँ लेकिन सिर्फ जो, पवित्र सुगंध है वह मैं हूँ, पवित्र कहने का भाव आप अच्छे से समझ लें। यहाँ भगवान यह कहना चाहते हैं कि जो कामवासना में जो शरीर से दुर्गंध निकलती है वह मैं नहीं हूँ, अब तो वैज्ञानिक भी कहते हैं कि सम्भोग में चेतना की गिरावट नीचे गिरती है तो पुरूष-स्त्री दोनों के शरीर से दुर्गंध निकलती है।
जो सच्चे ब्रम्हचारी होते हैं, वह वासना को नीचे से ऊपर की तरफ उठाते है, जांभो जी ने भी कहा था की पताल का पानी आकाश में चढ़ा लें। जब वीर्य शक्ति आपके नीचे की तरफ ना बहकर ऊपर की तरफ उठनी शुरू हो जाती है तब उन ब्रह्मचारी सन्तों के शरीर से सुगंध निकलती है उसको श्री कृष्ण ने पवित्र गंध कहा है कि वह मैं हूँ ।
भगवान आगे कहते हैं अग्नि में तेज, प्राणियों में जीवन शक्ति और तपस्वियों में तप मैं हूँ।
कर्तव्य कर्मों के लिये कष्ट सहन करना भी तप होता है, जितने भी कर्मयोगी, सन्यासी, तपस्वी होते हैं उनका जो बल है यानि जो तप है वह भगवान कहते हैं मैं हूँ। पहले तपस्वी सैकड़ांे वर्ष तक तपस्या करते थे उनका जो परमात्मा को पाने के लिये तप होता था यानि आत्मबल वह परमात्मा का ही बल था, परमात्मा के बल से ईसा सूली पर चढ गये, मीरा ने जहर पी लिया, सुकरात ने भी जहर चाट लिया था, ऐसे एक नहीं सैकड़ों बार हुआ है कि धर्म की अच्छी प्रकार स्थापना करने के लिये या मुक्ति प्राप्त करने के लिये तपस्वियों ने तप किया वह उन तपस्वियों का जो बल था, तप था, वह जो सामर्थ्य था वह परमात्मा का ही बल था और है।