येषां त्वन्तगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम्।
ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मां दृढव्रताः
ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मां दृढव्रताः
अर्थ परन्तु जिन मनुष्यों ने पुण्य कर्म करने से अपने पाप नष्ट कर लिए है ऐसे द्वन्द्व मोह से रहित मनुष्य एकाग्र होकर मेरा भजन करते है। व्याख्यागीता अध्याय 7 का श्लोक 28
जिस किसान ने घास-पात साफ करके जमीन तैयार कर रखी है, वही किसान अच्छी फसल ले पाएंगे जिन लोगों ने घास-पात में ही फसल बो दी है वह फसल नहीं ले पाएंगे क्योंकि फसल की सारी शक्ति तो खरपतवार ही खींच लेगी।
भगवान कहते हैं, जिसके मन में काम-द्वेष की खरपतवार नहीं उन भक्तों को मैं आसानी से मिलता हूँ।
जिन ज्ञानी व्यक्तियों को आत्म बोध हो चुका है वह व्यक्ति पाप पुण्य को विलीन कर चुके हैं। मोह को जीत कर मोह को मार डाला है वह ज्ञानी हमेशा प्रभु के ध्यान में एकीभाव से स्थित रहते है।