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ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषतः।
यज्ज्ञात्वा नेह भूयोऽन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते।।
अर्थ तेरे लिए मैं यह विज्ञान पूर्ण ज्ञान कहूंगा, जिसका ज्ञान हो जाने के बाद और कुछ जानना बाकि नहीं रहता। व्याख्यागीता अध्याय 7 का श्लोक 2 भगवान कह रहे हैं अर्जुन को कि मैं तुमको वह ज्ञान दूंगा उसे जान लेने के बाद फिर और कुछ जानने को शेष नहीं रह जाता श्री कृष्ण के कहने का भाव है कि मैं तुझे वह चाबी दूंगा, के उससे ताले खोलने नहीं पड़ते, चाबी को दिखाते ही ताले अपने आप खुल जाते हैं यानि मैं तुझे वह तत्वज्ञान दूंगा, जिसे जान लेने से सब कुछ जान लिया जाता। कृष्ण कहते हैं वह एक परमज्ञान, अल्टीमेट वह आखरी सत्य अनादि व अनंत मैं तुझे कह दूंगा जिसको जानने के बाद तुझको सम्पूर्ण जगत में और कुछ भी नजर नहीं आएगा इस तत्वज्ञान को जानने के बाद हर जगह कण-कण परमात्मा का वास ही नजर आएगा। विज्ञान सहित ज्ञान अर्थात तत्वज्ञान यानि यह ज्ञान होने के बाद ना भक्त बचता है न भगवान सिर्फ भक्ति ही बचती है, ना प्रेमी बचता है, न प्रेमपात्र सिर्फ प्रेम ही बचता है, जिस दिन ज्ञान की ऐसी घटना घटती है उस दिन ऐसा नहीं होता कि कहाँ है भगवान, उस दिन तो ऐसा होता है कि ऐसी कोई जगह नहीं जहां भगवान ना हो, फिर तो हर कण-कण में भगवान ही बचता है, फिर उसके अलावा और कोई दिखाई नहीं पड़ता सब जगह सबके बाहर भीतर एक परमात्मा ही नजर आते हैं, श्री कृष्ण कहते हैं मैं तुझे वह ज्ञान दूंगा जिसको जानने से सब जान लिया जाता है।
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अपने आप को गीता परमरहस्यम् की गहन शिक्षाओं में डुबो दें, यह एक कालातीत मार्गदर्शक है जो आत्म-खोज और आंतरिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

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