Logo
अर्जुन उवाच 
अयतिः श्रद्धयोपेतो योगाच्चलितमानसः। 
अप्राप्य योगसंसिद्धिं कां गतिं कृष्ण गच्छति।।

कच्चिन्नोभयविभ्रष्टश्छिन्नाभ्रमिव नश्यति। 
अप्रतिष्ठो महाबाहो विमूढो ब्रह्मणः पथि।।

एतन्मे संशयं कृष्ण छेत्तुमर्हस्यशेषतः। 
त्वदन्यः संशयस्यास्य छेत्ता न ह्युपपद्यते।।
अर्थ अर्जुन बोले - हे कृष्ण ! जो योगी श्रद्धा सहित इस मार्ग पर प्रवृत्त होता है, लेकिन अपने अस्थिर मन के कारण निरंतर प्रयास नहीं करता और अंत समय में योग के लक्ष्य को प्राप्त करने में असमर्थ रहता है, वह किस गति में चला जाता है ?अर्जुन कहते हैं कि एक साधक, जो संसार से निर्लिप्त होकर परमात्मा को प्राप्त करने के मार्ग में विचलित हो जाता है, उसका क्या होता है? क्या कहीं वह दोनों ओर से भ्रष्ट हुआ साधक कहीं जैसे छिन्न - भिन्न बादल नष्ट हो जाते है ऐसे वह दोनों और से नष्ट तो नहीं हो जाता ? हे कृष्ण! मेरे इस संदेह को पूरी तरह से छेदन के लिए आप ही योग्य हैं, क्योंकि इस संदेह का आपके सिवाय दूसरा कोई भी हल नहीं कर सकता व्याख्यागीता अध्याय 6 का श्लोक 37-39 अर्जुन श्री कृष्ण से कह रहे हैं कि जिसको ध्यान, समाधि, स्वाध्यन, परमात्मा में श्रद्धा है किन्तु संयमी नहीं है। इस कारण मृत्यु के समय में मन विचलित हो गया। ऐसा साधक परम प्रभु को ना प्राप्त होकर किस मार्ग को जाएगा ? जैसे छोटे बादल हवा से बिखर जाते है वैसे छिन्न-भिन्न होकर नष्ट तो नहीं हो जाएंगे। हे कृष्ण मेरे इस संशय (डाऊट) को अच्छी प्रकार से समझाने के लिए आप ही योग्य हो अर्थात यह गीता ज्ञान मनोविज्ञान ज्ञान है। इस ज्ञान को समझना वेदों के ज्ञान को समझने वाले के भी वश की बात नहीं। क्योंकि आपके सिवा दूसरा इस ज्ञान को समझाने वाला इस संसार में मिलना असम्भव है। - जन्म इसको मिल नहीं सकता कारण कि यह योग में श्रद्धा रखने वाला है। - स्वर्ग की कभी इच्छा नहीं की तो स्वर्ग भी नहीं मिलेगा। - अन्त में विचलित होने से परमात्मा (मोक्ष) को भी प्राप्त नहीं हो सका। अर्जुन इस बात को समझना चाहते हैं कि कहीं वह साधक नष्ट तो नहीं हो जाता। अर्जुन को कृष्ण पर अब विश्वास हुआ है कि ज्ञान तो सच्चा है लेकिन यह एक डाउट है। इस संशय को आप ही क्लियर कर सकते हैं। कृपया करके मेरे इस संशय को दूर करें।
logo

अपने आप को गीता परमरहस्यम् की गहन शिक्षाओं में डुबो दें, यह एक कालातीत मार्गदर्शक है जो आत्म-खोज और आंतरिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

Follow us on

अधिक जानकारी या निस्वार्थ योगदान के लिए आज ही संपर्क करे।

[email protected] [email protected]