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धूमेनाव्रियते वह्निर्यथादर्शो मलेन च।
यथोल्बेनावृतो गर्भस्तथा तेनेदमावृतम्।।
अर्थ जैसे धुंए से अग्नि, मैल से दर्पण और जेर से गर्भ ढका जाता है। उसी तरह, कामना से यह विवेक ढका हुआ है व्याख्यागीता अध्याय 3 का श्लोक 38 -जैसे – अग्नि धुएं से - धुआं ही धुआं दिखता है अग्नि नहीं। दर्पण मैल से - मैल से दर्पण ही दिखता है सूरत नहीं। गर्भ जेर से - जेर से बच्चे का पता नहीं चलता (मेल है या फिमेल) ऐसे ही कामना से ज्ञान ढका रहता है।
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अपने आप को गीता परमरहस्यम् की गहन शिक्षाओं में डुबो दें, यह एक कालातीत मार्गदर्शक है जो आत्म-खोज और आंतरिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

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