विहाय कामान्यः सर्वान्पुमांश्चरति निःस्पृहः ।
निर्ममो निरहंकारः स शान्तिमधिगच्छति ।।
निर्ममो निरहंकारः स शान्तिमधिगच्छति ।।
अर्थ जो मनुष्य सम्पूर्ण कामनाओें का त्याग करके स्पृहारहित, ममता रहित और अहंता रहित होकर आचरण करता है, वह शांति को प्राप्त होता है। व्याख्याजो साधक सम्पूर्ण कामनाओं ममता, अहंकार, धन को त्याग कर प्रभु का विचार करते हैं, वही पुरुष शांति को प्राप्त है और मृत्यु के बाद भी शांति को प्राप्त होंगे।