तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः ।
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता ।।
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता ।।
अर्थ इसलिए हे महाबाहो ! जिस मनुष्य की इन्द्रियाँ इन्द्रियों के विषयों से सर्वथा वश में की हुई हैं, उसकी बुद्धि स्थिर है। व्याख्याइसलिए हे महाबाहो! (बड़ी बड़ी भुजा वाले महाबाहो) जिस मनुष्य की इन्द्रियां, मन, वश में है उसकी बुद्धि स्थिर है यानि समसाधक योगी है।