सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि।।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि।।
अर्थ जय-पराजय, लाभ-हानि और सुख-दुःख को समान करके फिर युद्ध में लग जा। इस प्रकार युद्ध करने से तू पाप को प्राप्त नहीं होगा। व्याख्याहार जीत का परिणाम होता है और लाभ हानि का परिणाम होता है सुख-दुःख इसलिए तू पहले विचार कर ले कि तुझे तो केवल अपने धर्म का पालन करना है।
प्रभु का कार्य समझ कर युद्ध कर इस भाव से जब तुम युद्ध करोगे तो पाप भी नहीं लगेगा।
वह संसार का बंधन भी नहीं होगा अर्थात् कल्याण (मोक्ष) को प्राप्त होगा।