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हतो वा प्राप्स्यसि स्वर्गं जित्वा वा भोक्ष्यसे महीम्।
तस्मादुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चयः।।
अर्थ अगर युद्ध में तू मारा जाएगा तो तुझे स्वर्ग की प्राप्ति होगी और अगर तू जीत जाएगा तो पृथ्वी का राज्य भोगेगा। अतः हे कौन्तेय! तू युद्ध के लिए निश्चय करके खड़ा हो जा। व्याख्याइसी अध्याय के श्लोक नं. 6 में अर्जुन ने कहा कि हम लोगों को इसका भी पता नहीं कि युद्ध में हम उनको जीतेंगे या वो हमको जीतेंगे। उस बात का जवाब देते हुए भगवान अर्जुन को कह रहे हैं, युद्ध में दो ही काम होंगे। पहला अगर युद्ध में मारा गया तो स्वर्ग मिलेगा। दूसरा अगर युद्ध में जीत गया तो पृथ्वी का राज्य भोगेगा। भगवान कह रहे हैं कि तेरे तो दोनों हाथों में लड्डू है। इसलिए हे कुन्ती पुत्र! तू युद्ध का निश्चय कर के (मन, बुद्धि, आत्मा को एक करके) युद्ध के लिए खड़ा हो जा।
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अपने आप को गीता परमरहस्यम् की गहन शिक्षाओं में डुबो दें, यह एक कालातीत मार्गदर्शक है जो आत्म-खोज और आंतरिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

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