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अकीर्तिं चापि भूतानि कथयिष्यन्ति तेऽव्ययाम्।
संभावितस्य चाकीर्तिर्मरणादतिरिच्यते।।
अर्थ और सब प्राणी भी तेरी सदा रहने वाली अपकीर्ति का कथन अर्थात् निन्दा करेंगे। वह अपकीर्ति सम्मानित मनुष्य के लिए मृत्यु से भी बढ़कर दुःख दायी होती हैं। व्याख्यासब लोग बहुत काल तक अर्थात् मनुष्य, देवता, राक्षस आदि जिन प्राणियों का तेरे साथ कोई सम्बन्ध नहीं है वह ना तेरे मित्र है, ना तेरे शत्रु ऐसे साधारण प्राणी भी तेरी अपकीर्ति का कथन किया करेंगे कि देखो अर्जुन अपने क्षत्रिय धर्म से कैसे विमुख हो गया। वह कितना शूरवीर था पर युद्ध के मौके पर उसकी कायरता सामने आई और संसार की दृष्टि में जो श्रेष्ठ माना जाता है, जिसको लोग बड़ी ऊंची दृष्टि से देखते है ऐसे मुनष्य की जब अपकीर्ति होती है तो वह अपकीर्ति मनुष्य के लिए मरण से भयंकर होती है। अर्थात् मरने में तो आयु समाप्त हुई है। उसने कोई अपराध तो नहीं किया। लोगों में श्रेष्ठ माने जाने वाला व्यक्ति अपने धर्म से मुंह फेर कर भाग जाता है तब उसकी अपकीर्ति होती है। वह मरने से बढ़कर है और वह अपकीर्ति सदा कहानियों के रूप में जिन्दा रहती है।
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अपने आप को गीता परमरहस्यम् की गहन शिक्षाओं में डुबो दें, यह एक कालातीत मार्गदर्शक है जो आत्म-खोज और आंतरिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

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