दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च।
अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम्।।
अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम्।।
अर्थ हे पार्थ दम्भ करना, घमण्ड करना और अभिमान करना, क्रोध करना तथा कठोरता रखना और अविवेक का होना ये सभी असुरी सम्पदा को प्राप्त हुए मनुष्य के लक्षण हैं। व्याख्यागीता अध्याय 16 का श्लोक 4
दम्भ: जब मनुष्य शरीर, धन, आदर, सम्पत्ति आदि को प्रधानता देने लगता है तब उसमें दम्भ आ जाता है। अपने मुँह से ही अपनी बढ़ाई करते रहना दिखावा करना दम्भ होता है।
घमण्ड, अहंकार, क्रोध, कठोरता, अज्ञान: ये सभी असुरी सम्पदा को प्राप्त हुए मनुष्य के लक्षण है।
घमण्ड, अहंकार, क्रोध, कठोरता, अज्ञान: ये सभी असुरी सम्पदा को प्राप्त हुए मनुष्य के लक्षण है।