त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।।
कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।।
अर्थ काम, क्रोध और लोभ ये तीन प्रकार के नर्क के दरवाजे जीवात्मा का पतन करने वाले हैं। इसलिए इन तीनों का त्याग कर देना चाहिए। व्याख्या गीता अध्याय 16 का श्लोक 21
काम, क्रोध और लोभ: ये तीनों जीव को नर्क के द्वार में ले जाने वाले हैं। भोग भोगना काम है, धन ईक्ट्ठा करना लोभ है, भोग और धन ईक्ट्ठा करने में बाधा देने वाले पर क्रोध आता है ये तीनों ही असुरी सम्पति के मुख्य कारण है। सब पाप इन तीनों कारण से ही होते हैं।
इतिहास गवाह है कि जो धन आने पर भोग विलास में डूब गया, उनका पतन हुआ है। धनी व्यक्ति को क्रोध छोटी-छोटी बातों पर बहुत ज्यादा आता है जिस कारण वह ना करने लायक अनर्थ कर बैठता है।
जीव का शरीर और धन तो यहीं छूट जाते है, परन्तु भीतर का भाव असुरी मनुष्यों को नर्क में ले जाता है।
इतिहास गवाह है कि जो धन आने पर भोग विलास में डूब गया, उनका पतन हुआ है। धनी व्यक्ति को क्रोध छोटी-छोटी बातों पर बहुत ज्यादा आता है जिस कारण वह ना करने लायक अनर्थ कर बैठता है।
जीव का शरीर और धन तो यहीं छूट जाते है, परन्तु भीतर का भाव असुरी मनुष्यों को नर्क में ले जाता है।