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यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयतेऽखिलम्।
यच्चन्द्रमसि यच्चाग्नौ तत्तेजो विद्धि मामकम्।।
अर्थ सूर्य को प्राप्त हुआ जो तेज सम्पूर्ण जगत को प्रकाशित करता है और जो तेज चन्द्रमा में है तथा जो तेज अग्नि में है, उस तेज को मेरा ही जान। व्याख्यागीता अध्याय 15 का श्लोक 12 छठे श्लोक में भगवान ने कहा मेरे परमधाम को सूर्य, चंद्र और अग्नि प्रकाशित नहीं कर सकते। उसी बात को और स्पष्ट करने के लिए इस श्लोक में कहते हैं सूर्य, चंद्र, अग्नि में जो तेज दिख रहा है वह मेरा ही तेज है। इस रहस्य को मनुष्य संसार इच्छा के कारण पूरे जीवन में नहीं जान पाता। यहाँ भगवान ने मनुष्य को ज्ञान दिया है कि जो तेज आपको दिख रहा है सूर्य, चंद्र, अग्नि, तारे, दीपक आदि में वह तेज, वह प्रकाश उनका नहीं मेरा ही है, मेरे ही प्रकाश से सब प्रकाशित हो रहे हैं।
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अपने आप को गीता परमरहस्यम् की गहन शिक्षाओं में डुबो दें, यह एक कालातीत मार्गदर्शक है जो आत्म-खोज और आंतरिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

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