तमोगुण
तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम् ।
प्रमादालस्यनिद्राभिस्तन्निबध्नाति भारत ।।
तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम् ।
प्रमादालस्यनिद्राभिस्तन्निबध्नाति भारत ।।
अर्थ और हे भारत सम्पूर्ण देह धारियों को मोहित करने वाले तमोगुण को तो अज्ञान से उत्पन्न होने वाला समझो। वह प्रमाद आलस्य और निंद्रा के द्वारा (देह के साथ अपना सम्बन्ध मानने वालों को) बाँधता है।
व्याख्यागीता अध्याय 14 का श्लोक 8
तमोगुण वाले मनुष्य अज्ञानी तथा मूढ़ी किस्म के होते हैं। इस गुण का प्रभाव जिस पर होता है, वह आलस्य, निंद्रा में दिन रात लिप्त रहता है, दूसरों के सुखों से जलन करने वाले ईर्ष्या, द्वेष करने वाले होते हैं, इस प्रकार के व्यक्ति प्रमाद, आलस्य, भोग के कारण प्रकृति माया से बंधकर जन्मते-मरते रहते हैं।