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अर्जुन उवाच
कार्लीङ्गैस्त्रीन्गुणानेतानतीतो भवति प्रभो।
किमाचारः कथं चैतांस्त्रीन्गुणानतिवर्तते।।
अर्थ  हे प्रभो ! इन तीनों गुणों से अतीत हुआ मनुष्य किन लक्षणों से युक्त होता हैं ? उसके आचरण कैसे होते है ? और इन तीनों गुणों का अतिक्रमण कैसे किया जाता है ? व्याख्यागीता अध्याय 14 का श्लोक 21 अर्जुन कहते हैं प्रभो इन तीनों गुणों से अतीत हुए मनुष्य के क्या लक्षण होते हैं ? अर्थात् उन गुणों से अलग हुए मनुष्य का आचरण कैसा होता है उसकी दिनचर्या कैसी होती है। साधारण व्यक्ति की तरह ही जैसे रहन-सहन, खान-पान, सोना-जागना, होता है या कुछ अलग होता है, यह आप मुझे समझाएँ और यह भी मुझे आप  ज्ञान दीजिए कि इन तीनों गुणों से मनुष्य अलग कैसे हो सकता है।
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अपने आप को गीता परमरहस्यम् की गहन शिक्षाओं में डुबो दें, यह एक कालातीत मार्गदर्शक है जो आत्म-खोज और आंतरिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

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