य एवं वेत्ति पुरुषं प्रकृतिं च गुणैःसह।
सर्वथा वर्तमानोऽपि न स भूयोऽभिजायते।।
सर्वथा वर्तमानोऽपि न स भूयोऽभिजायते।।
अर्थ इस प्रकार पुरूष को और गुणों के सहित प्रकृति को जो मनुष्य जानता है, वह सब तरह का बर्ताव करता हुआ भी फिर जन्म नहीं लेता। व्याख्यागीता अध्याय 13 का श्लोक 23 - Geeta 13.23
विकार, कार्य, करण, विषय, आदि दृश्य रूप में जो संसार दिख रहा है। वह सब प्रकृति और उसके तीन गुण का कार्य है। इस ज्ञान को अलग-अलग तत्वज्ञान से जो मनुष्य जान लेता है। वह सब तरह का कर्म वर्तमान में स्थिर होकर करता हुआ भी फिर जन्म नहीं लेता।