अर्जुन उवाच
दृष्ट्वेदं मानुषं रूपं तवसौम्यं जनार्दन।
इदानीमस्मि संवृत्तः सचेताः प्रकृतिं गतः।।
दृष्ट्वेदं मानुषं रूपं तवसौम्यं जनार्दन।
इदानीमस्मि संवृत्तः सचेताः प्रकृतिं गतः।।
अर्थ अर्जुन बोले - हे जनार्दन आपके इस सौम्य मनुष्य रूप को देखकर मैं इस समय स्थिरचित्त हो गया हूँ और अपनी स्वाभाविक स्थिति को प्राप्त हो गया हूँ। व्याख्यागीता अध्याय 11 का श्लोक 51
भगवान ने मनुष्य रूप होकर जब अर्जुन को आश्वासन दिया तब अर्जुन बोले हे जनार्दन।
आपके इस सौम्य (शांत) मनुष्य रूप को देखकर मैं इस समय स्थिरचित्त हो गया हूँ। अर्जुन विराट रूप को देखकर भयभीत हो गये थे, अब कृष्ण रूप को देखकर वह सब भय मिट गया है और अपनी पहले कि स्थिति को प्राप्त हो गये हैं।
आपके इस सौम्य (शांत) मनुष्य रूप को देखकर मैं इस समय स्थिरचित्त हो गया हूँ। अर्जुन विराट रूप को देखकर भयभीत हो गये थे, अब कृष्ण रूप को देखकर वह सब भय मिट गया है और अपनी पहले कि स्थिति को प्राप्त हो गये हैं।