सञ्जय उवाच
इत्यर्जुनं वासुदेवस्तथोक्त्वा स्वकं रूपं दर्शयामास भूयः।
आश्वासयामास च भीतमेनं भूत्वा पुनः सौम्यवपुर्महात्मा।।
इत्यर्जुनं वासुदेवस्तथोक्त्वा स्वकं रूपं दर्शयामास भूयः।
आश्वासयामास च भीतमेनं भूत्वा पुनः सौम्यवपुर्महात्मा।।
अर्थ संजय बोले - वासुदेव भगवान ने अर्जुन से ऐसा कहकर उसी प्रकार से अपना रूप दिखाया है महात्मा कृष्ण ने पुनः सौम्य रूप (मनुष्य रूप) होकर इस भयभीत अर्जुन को आश्वासन दिया। व्याख्यागीता अध्याय 11 का श्लोक 50
संजय बोले: वासुदेव भगवान श्री कृष्ण ने ऐसा कहकर फिर उसी प्रकार से जैसे पहले थे, यानि कृष्ण रूप में थे, विश्वरूप दिखाने से पहले उसी प्रकार से दोबारा अपना मानव रूप दिखाया और महात्मा कृष्ण ने पुनः सोम्यरूप (शांत व सुन्दर मानव रूप) होकर उस भयभीत अर्जुन को आश्वासन दिया।
भगवान श्री कृष्ण ने आलौकिक चक्षु के दृष्टि से बाहर निकाल कर लौकिक चक्षु से अपना मानव रूप दिखाया और आश्वासन देकर धीरज बढ़ाया कि अब तू शांत हो जा, ले देख मैं तेरा सखा कृष्ण रूप तेरे सामने खड़ा हूँ।
भगवान श्री कृष्ण ने आलौकिक चक्षु के दृष्टि से बाहर निकाल कर लौकिक चक्षु से अपना मानव रूप दिखाया और आश्वासन देकर धीरज बढ़ाया कि अब तू शांत हो जा, ले देख मैं तेरा सखा कृष्ण रूप तेरे सामने खड़ा हूँ।