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सञ्जय उवाच
एतच्छ्रुत्वा वचनं केशवस्य कृताञ्जलिर्वेपमानः किरीटी।
नमस्कृत्वा भूय एवाह कृष्णं सगद्गदं भीतभीतः प्रणम्य।।
अर्थ संजय बोले - केशव का यह वचन सुनकर भय से कांपते मुकुटधारी अर्जुन हाथ जोड़कर नमस्कार करके और भयभीत होते हुए भी फिर प्रणाम करके गद्गद् वाणी से कृष्ण से बोले। व्याख्यागीता अध्याय 11 का श्लोक 35 काल (समय) सबका भक्षण करता है किसी को भी वह छोड़ता नहीं। अर्जुन तो पहले से भयभीत थे। ऊपर से भगवान ने कहा कि मैं काल हूँ सबको खा जाऊँगा। ऐसा कहकर मानों डरे हुए को और डरा दिया। भय से भयभीत अर्जुन हाथ जोड़कर नमस्कार करके प्रणाम करके गद-गद वाणी से बोले।
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अपने आप को गीता परमरहस्यम् की गहन शिक्षाओं में डुबो दें, यह एक कालातीत मार्गदर्शक है जो आत्म-खोज और आंतरिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

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