रूपं महत्ते बहुवक्त्रनेत्रं महाबाहो बहुबाहूरुपादम्।
बहूदरं बहुदंष्ट्राकरालं दृष्ट्वा लोकाः प्रव्यथितास्तथाऽहम्।।
बहूदरं बहुदंष्ट्राकरालं दृष्ट्वा लोकाः प्रव्यथितास्तथाऽहम्।।
अर्थ हे महाबाहो आपके बहुत मुखों और नेत्रों वाले, बहुत भुजाओं और चरणों वाले, बहुत उदारों वाले और विक्राल दाढ़ों वाले महान रूप को देखकर सब प्राणी व्याकुल हो रहे हैं तथा मैं भी व्याकुल हो रहा हूँ। व्याख्यागीता अध्याय 11 का श्लोक 23
आपके मुख एक दूजे से नहीं मिलते, कोई सुन्दर है तो कोई सौम्य, शांत और कोई विकराल कोई मुख छोटे कोई बड़े ऐसे ही आपके नेत्र हैं। लम्बे, गोल, टेढ़े, चौड़े आदि हाथों की आकृति व जंघाएँ विचित्र विचित्र पैर, पेट भी एक समान नहीं है। छोटा, बड़ा, भयंकर तरह तरह की आपके शरीर की आकृति हैं। बहुत विकराल दाढ़ों वाले महानरूप को देखकर सब प्राणी (प्राणों से जीने वाले प्राणी है जैसे मानव पशु, पक्षी, जीव जन्तु आदि सब साँस लेते है यह सब प्राणी है) व्याकुल हो रहे हैं तथा मैं भी व्याकुल हो रहा हूँ।