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मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसंज्ञितम्।
यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम।।
अर्थ अर्जुन बोले - केवल मुझ पर कृपा करने के लिए आपने जो परम रहस्य अध्यात्म वचन कहे उससे मेरा यह मोह नष्ट हो गया है। व्याख्यागीता अध्याय 11 का श्लोक 1 विश्वरूप दर्शन योग: अध्याय दस के श्लोक नं. ग्यारह में भगवान कहते हैं, मेरे भजन करने वालों पर कृपा करके मैं स्वयं उनके अज्ञानजन्य अँधकार का नाश कर देता हूँ। इस बात का अर्जुन पर बड़ा प्रभाव पड़ा अर्जुन कहते हैं, केवल मेरे पर कृपा करने के लिए ही आपने जो ‘परम’ गोपनीय अध्यात्म के वचन कहे, आपके परम ज्ञान को सुनकर, मेरा कुरूवंशियों वाला यह मोह नष्ट हो गया। परम ज्ञान अर्थात् आदि, अंत, मध्य सब कालों में मैं हूँ, सम्पूर्ण प्राणियों का बीज हूँ, सभी विभूतियों के तेज को मेरे आत्मा का तेज समझो, मैं सम्पूर्ण ब्रह्म को अंश मात्र आत्मा में व्याप्त करके स्थिर हूँ। इन परम वचनों को सुनने से अर्जुन का अज्ञान से भरा मोह खत्म हो गया।
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अपने आप को गीता परमरहस्यम् की गहन शिक्षाओं में डुबो दें, यह एक कालातीत मार्गदर्शक है जो आत्म-खोज और आंतरिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

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