महर्षयः सप्त पूर्वे चत्वारो मनवस्तथा।
मद्भावा मानसा जाता येषां लोक इमाः प्रजाः।।
मद्भावा मानसा जाता येषां लोक इमाः प्रजाः।।
अर्थ सात महर्षि (और) उनसे भी पहले होने वाले चार सनकादि तथा चौदह मनु (ये सब के सब) मेरे मन से पैदा हुए हैं और मुझमें भाव (श्रद्धा भक्ति) रखने वाले हैं, जिनकी संसार में सम्पूर्ण प्रजा है। व्याख्यागीता अध्याय 10 का श्लोक 6
भगवान कहते हैं मेरे मन से सबसे पहले मानव की उत्पत्ति हुई है। वे चौदह मनु थे, इन चौदह मनु के चार सनक आदि पुत्र हुए, इन चार सनक आदि के सात महर्षिओं ने जन्म लिया। ऐसे उनके भी आगे सन्तान हुई फिर उनसे भी आगे होते होते संसार की यह सम्पूर्ण प्रजा है, जो आज अपने को अलग-अलग देश व अलग-अलग धर्म के मानते हैं यह सब प्रजा (पच्चीस ऋषि-महाऋषि की सन्तान है) यह सब परम के भाव से उत्पन्न हुए थे और हम सब मानव के पूर्वज एक ही हैं और संसार की सम्पूर्ण प्रजा के पूर्वज यहीं हैं।
कृष्ण कहते हैं यह सब मेरे भाव वाले, मेरे सकंल्प से उत्पन्न हुए हैं, जिनकी संसार में सम्पूर्ण प्रजा है।