प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम्।
मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम्।।
मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम्।।
अर्थ दैत्यों में प्रहलाद और गणना करने वालों में काल (समय) मैं हूँ तथा पशुओं में सिंह और पक्षियों में गरूड़ मैं हूँ। व्याख्यागीता अध्याय 10 का श्लोक 30
कोई व्यक्ति सोचे कि भगवान तो पंड़ितों के घर में ही जन्म लेकर आते हैं, यह आपकी गलत फहमी है, परमात्मा अपनी लीला राक्षश के घर में जन्म लेकर भी दिखा सकते हैं, यहाँ भगवान कहते हैं दैत्यों में यानि राक्षसो के घर में मैं प्रहलाद हूँ
समय से ही उम्र की गणना होती है, इसलिए पल, घण्टे, दिन, पक्ष, माह, वर्ष आदि गणना करने वालों में मैं समय हूँ।
पशुओं में शेर और पक्षियों में गरूड़ मैं हूँ। गरूड़ अर्थात शास्त्रों में भगवान विष्णु के वाहन को बताया है और जब यह पक्षी उड़ता है तब इसके पंखों से सामवेद की ध्वनि निकलती है।