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अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।
नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते।।
अर्थ हे द्विजों के श्रेष्ठ! आपके ध्यान में लाने के लिए हमारे पक्ष में भी जो विशिष्ट योद्धा हैं मैं आपको उनका भी परिचय देता हूँ मेरी सेना के नायकों को भी आप समझें। व्याख्याहे द्विजोतम हमारे पक्ष में जो मुख्य हैं, उन पर भी आप ध्यान दीजिए। पाण्डव सेना के लिए दुर्योधन कहता है कि इनकी सेना को देखिये, लेकिन अपनी सेना सामने नहीं है, उनकी तरफ द्रोणाचार्य की पीठ है क्योंकि सेना सभी पीछे है तब दुर्योधन कहता है- ‘‘हमारे पक्ष में भी पाण्डवों की सेना से कम विशेषता वाले महारथी नहीं’’, आप ध्यान दीजिए। मेरी सेना के जो जो नायक हैं, उनको मैं आपके ज्ञान के लिए कहता हूँ। वैसे तो द्रोणाचार्य सबको जानते थे, दुर्योधन यहाँ साइकोलॉजिस्ट बने हुए हैं। वह आचार्य को यह बताना चाहते हैं कि हमारा पक्ष भी किसी तरह से कम नहीं, मैं आपके ज्ञान (जानकारी) के लिए बता रहा हूँ।
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अपने आप को गीता परमरहस्यम् की गहन शिक्षाओं में डुबो दें, यह एक कालातीत मार्गदर्शक है जो आत्म-खोज और आंतरिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

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