अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः।
भीष्ममेवाभिरक्षन्तुभवन्तः सर्व एव हि ।।
भीष्ममेवाभिरक्षन्तुभवन्तः सर्व एव हि ।।
अर्थ अब दुर्योधन अपने महारथियों से बोला "सभी अपनी-अपनी दिशाओं में स्थित रहते हुए दृढ़ता से पितामह भीष्म की रक्षा करो, क्योंकि वे ही सबका रक्षक हैं। व्याख्याजिन-जिन मोर्चों पर आपकी नियुक्ति कर दी गई है, आप सभी योद्धा लोग अपने अपने मोर्चा पर दृढ़ता से स्थिर रहते हुए यानि पूरे होश के साथ यहीं युद्ध में अपने मन को स्थिर करके, आप सब लोग भीष्म की ही चारों तरफ से रक्षा करें। यह कहकर दुर्योधन भीष्म को भीतर से अपने पक्ष में लाना चाहता था।
द्रोणाचार्य के द्वारा कुछ भी ना बोलने के कारण दुर्योधन का मानसिक उत्साह भंग हुआ देखकर उसके प्रति भीष्म जी ने उसका उत्साह बढ़ाया।